अबू सईद ख़ुदरी तथा अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "मुसलमान को जो भी रोग, थकान, दुख,...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि मुसलमान को जो भी बीमारियाँ, ग़म, दुःख, परेशानियाँ, मुसीबतें, कठिनाइयाँ, भय और आर्थिक विपत्तियाँ...
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : ''मोमिन पुरुष एवं मोमिन स्त्री के साथ परी...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि परीक्षाएँ कभी मोमिन पुरुष एवं मोमिन स्त्री का साथ नहीं छोड़तीं। परीक्षा कभी उसकी जान से जुड़ी हु...
सुहैब रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "मोमिन का मामला भी बड़ा अजीब है। उसके हर काम...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मोमिन के हालात को पसंद करते हुए उनपर आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं। क्योंकि उसके सारे हालात अच्छे हैं। जबकि यह बात...
अबू मूसा अशअरी रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है,, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जब बंदा बीमार होता है या यात्रा में...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम यहाँ अल्लाह के एक अनुग्रह का उल्लेख कर रहे हैं। बता रहे हैं कि जब कोई मुसलमान स्वस्थ रहते हुए और घर में रहने की...
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "अच्छे कार्यों की ओर जल्दी करो, उन फ़ितनों से पहले, ज...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मोमिन को इससे पहले कि अच्छे कामों से रोक देने वाले फ़ितनों और संदेहों के सामने आ जाने के कारण उन्हें करना कठिन...

अबू सईद ख़ुदरी तथा अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "मुसलमान को जो भी रोग, थकान, दुख, गम, कष्ट और विपत्ति पहुँचती है, यहाँ तक कि एक काँटा भी चुभता है, तो उसके ज़रिए अल्लाह उसके गुनाहों को मिटा देता है।"

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : ''मोमिन पुरुष एवं मोमिन स्त्री के साथ परीक्षाएँ सदा लगी रहती हैं; उसकी जान, उसकी संतान और उसके माल में। ताकि वह अल्लाह से मिले और उसपर कोई गुनाह न हो।''

सुहैब रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "मोमिन का मामला भी बड़ा अजीब है। उसके हर काम में उसके लिए भलाई है। जबकि यह बात मोमिन के सिवा किसी और के साथ नहीं है। यदि उसे ख़ुशहाली प्राप्त होती है और वह शुक्र करता है, तो यह भी उसके लिए बेहतर है और अगर उसे तकलीफ़ पहुँचती है और सब्र करता है. तो यह भी उसके लिए बेहतर है।"

अबू मूसा अशअरी रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है,, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जब बंदा बीमार होता है या यात्रा में निकलता है, तो उसके लिए उसी तरह की इबादतों का सवाब लिखा जाता है, जो वह घर में रहते तथा स्वस्थ रहते समय किया करता था।"

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "अच्छे कार्यों की ओर जल्दी करो, उन फ़ितनों से पहले, जो अंधेरी रात के विभिन्न टुकड़ों की तरह सामने आएँगे। आदमी सुबह को मोमिन होगा, तो शाम को काफ़िर अथवा शाम को मोमिन होगा, तो सुबह को काफ़िर, दुनिया की किसी वस्तु के बदले में अपने धर्म का सौदा कर लेगा।"

मुआविया रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णन है, उन्होंने कहा : मैंने अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कहते हुए सुना है : "अल्लाह तआला जिसके साथ भलाई का इरादा करता है, उसे दीन की समझ प्रदान करता है। मैं केवल बाँटने वाला हूँ, देता तो अल्लाह है। यह उम्मत अल्लाह के आदेश पर क़ायम रहेगी, उसे उसका विरोध करने वाले नुक़सान नहीं पहुँचा सकेंगे, यहाँ तक कि क़यामत आ जाए।"

इब्ने मसऊद -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को फ़रमाते हुए सुनाः "अल्लाह उस व्यक्ति को शादाब तथा आबाद रखे, जिसने हमसे कुछ सुना और उसे जैसे सुना था, वैसे ही पहुँचा दिया। क्योंकि, कभी-कभार जिसे पहुँचाया जाता है, वह सुनने वाले से अधिक याद रखने वाला तथा समझने वाला होता है।"

जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "ज्ञान इसलिए न अर्जित करो कि उलेमा से बहस कर सको और अज्ञान लोगों से झगड़ सको। इसके द्वारा सभाओं में श्रेष्ठ स्थानों पर क़ब्ज़ा न करो। जिसने ऐसा किया, उसका ठिकना जहन्नम है, उसका ठिकाना जहन्नम है।"

उसमान रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "तुम्हारे बीच सबसे उत्तम व्यक्ति वह है, जो खुद क़ुरआन सीखे और उसे दूसरों को सिखाए।"

अबू अब्दुर रहमान सुलमी कहते हैं : हमें अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के उन सहाबा ने बताया, जो हमें पढ़ाया करते थे कि वे अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से दस आयतें पढ़ते और दूसरी दस आयतों को पढ़ना उस समय तक शुरू नहीं करते, जब तक उन दस आयतों के ज्ञान एवं अमल को सीख न लेते। सहाबा ने कहा : हमने ज्ञान और अमल दोनों सीखा।

अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जो अल्लाह की किताब का कोई एक अक्षर पढ़ेगा, उसे एक नेकी मिलेगी और नेकी दस गुणा तक दी जाती है। मैं यह नहीं कहता कि अलिफ़ लाम मीम मिल कर एक अक्षर है, बल्कि अलिफ़ एक अक्षर, लाम एक अक्षर और मीम एक अलग अक्षर है।"

अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अनहुमा से वर्णित है, उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया : "क़ुरआन पढ़ने वाले से कहा जाएगा कि पढ़ते जाओ और चढ़ते जाओ। साथ ही तुम उसी तरह ठहर-ठहर कर पढ़ो, जिस तरह दुनिया में ठहर-ठहर कर पढ़ा करते थे। तुम्हारे द्वारा पढ़ी गई अंतिम आयत के स्थान पर तुम्हें रहने के लिए जगह मिलेगी।"