- दीन को मज़बूती से पकड़े रहने और अच्छे कर्म की ओर तेज़ी से बढ़ने की ज़रूरत, इससे पहले कि बाधाएँ रास्ता रोक लें।
- इस बात की ओर इशारा कि अंतिम ज़माने में एक के बाद एक गुमराह कर देने वाले फ़ितने सामने आते रहेंगे। स्थिति यह होगी कि एक फ़ितना जाएगा, तो दूसरा फ़ितना आ जाएगा।
- जब इन्सान का दीन कमज़ोर हो जाता है और वह दुनिया के मोह माया में पड़कर दीन को छोड़ देता है, तो इसके नतीजे में वह दीन से विचलित, दूर और फ़ितनों का शिकार हो जाता है।
- इस हदीस से मालूम होता है कि अच्छे कर्म इन्सान को फ़ितनों से बचाते हैं।
- फ़ितनों की दो क़िस्में हैं : संदेहों के रूप में आने वाला फ़ितना, जिसका इलाज ज्ञान है। और इच्छाओं तथा अभिलाषाओं के रूप में आने वाला फ़ितना, जिसका इलाज ईमान एवं सब्र है।
- इस हदीस से मालूम होता है कि जिस व्यक्ति के पास अच्छे कर्म की पूंजी कम होगी, उसकी ओर फ़ितने ज़्यादा तेज़ी से आएँगे और जिसके पास कर्म की पूंजी अधिक हो, उसे अपने कर्म के धोखे में आने के बजाय अधिक अच्छे कर्म करने चाहिए।