- मोमिन बंदों पर अल्लाह की दया का एक दृश्य यह है कि वह दुनिया की मुसीबतों एवं विपत्तियों द्वारा दुनिया में किए हुए उनके गुनाहों को मिटा देता है।
- मुसीबत गुनाहों को मिटाने का काम करती है। बस शर्त यह है कि इन्सान के पास ईमान हो। बंदा धैर्य रखे और अल्लाह के निर्णय से विक्षुब्ध न हो, तो उसे सवाब मिल ही जाता है।
- इन्सान को प्रिय एवं अप्रिय सभी परिस्थितियों में धैर्य रखना चाहिए। धैर्य के साथ अल्लाह के द्वारा अनिवार्य किए गए कार्यों को करे और धैर्य के साथ उसकी हराम की हुई चीज़ों से दूर रहे। अल्लाह के सवाब की आशा रखे और उसके दंड से डरता रहे।
- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के शब्द "بالمؤمن والمؤمنة" में "المؤمنة" शब्द की वृद्धि महिला के हक़ में ताकीद लाने के लिए की गई है। वरना केवल "بالمؤمن" कहते, तब भी उसमें महिला दाख़िल हो जाती। क्योंकि मोमिन शब्द पुरुष के साथ खास नहीं है।
- मुसीबतों के नतीजे में मिलने वाले सवाब का वादा इन्सान के लिए नुसीबतों का सामना करना आसान कर देता है।