- सुख के समय शुक्र और दुख के समय सब्र करने की फ़ज़ीलत। जिसने यह दोनों काम कर लिए, उसे दोनों जहानों की भलाई प्राप्त हो गई। इसके विपरीत जिसने नेमत पर शुक्र अदा नहीं किया और मुसीबत पर सब्र नहीं किया, वह प्रतिफल से वंचित और गुनाह का हक़दार बन गया।
- ईमान की फ़ज़ीलत। हर अवस्था में प्रतिफल केवल ईमान वालों को ही प्राप्त होता है।
- सुख के समय शुक्र और दुख के समय सब्र करना ईमान वालों का तरीक़ा है।
- तक़दीर पर ईमान एक मोमिन को सभी परिस्थितियों पर संतुष्ट रखता है। जबकि ग़ैर-मोमिन की हालत इससे भिन्न होती है। कोई नुक़सान हो जाए, तो विचलित और नेमत मिल जाए, तो मस्त होकर अल्लाह की इबादत से दूर हो जाता है, और उसे अल्लाह की अवज्ञा में लगाने लगता है।