अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया : "धर्म आसान एवं सरल है और धर्म के मामले में जो भी उग्रता दिखाएगा...
जो भी व्यक्ति धार्मिक कार्यों में शरीयत द्वारा प्रदान की गई आसानी से विचलित होकर मुश्किल पसंदी की राह अपनाएगा, वह विवश होकर जो काम कर रहा था, या तो उस...
अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "आसानी पैदा करो और कठिनाई में न डालो तथा सुसमाचार...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम दीन तथा दुनिया से संबंधित सभी मामलों में, शरई दायरे में रहकर, लोगों का बोझ हल्का करने, उनको आसानी प्रादन करने औ...
अनस रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं : हम उमर रज़ियल्लाहु अनहु के पास मौजूद थे कि इसी दौरान उन्होंने कहा : "हमें तकल्लुफ़ करने यानी बिना ज़रू...
उमर रज़ियल्लाहु अनहु बता रहे हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनको ऐसा काम करने तथा ऐसी बात कहने से मना किया है, जिसके लिए बिना ज़रूर...
अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जब तुममें से कोई खाना खाए, तो...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इस बात का आदेश दे रहे हैं कि मुसलमान अपने दाएँ हाथ से खाए और पिए, जबकि इस बात से मना कर रहे हैं कि कोई अपने बाए...
उमर बिन अबू सलमा रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है, वह कहते हैं : मैं बच्चा था और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की देख-रेख में था। (खाना खाते सम...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नी उम्म-ए-सलमा रज़ियल्लाहु अनहा के बेटे उमर बिन अबू सलमा रज़ियल्लाहु अनहु, जो कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु...

अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया : "धर्म आसान एवं सरल है और धर्म के मामले में जो भी उग्रता दिखाएगा, वह परास्त होगा। अतः, बीच का रास्ता अपनाओ, अच्छा करने की चेष्टा करो, नेकी की आशा रखो तथा प्रातः एवं शाम और रात के अंधेरे में इबादत करके सहायता प्राप्त करो।" तथा एक रिवायत में है : "बीच का रास्ता अपनाओ, अच्छा करने की चेष्टा करो तथा सवेरे, शाम और रात के कुछ भाग में इबादत करो एवं अति तथा न्यून के बीच का रास्ता अख़्तिया करो, मंज़िल प्राप्त कर लोगे।"

अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "आसानी पैदा करो और कठिनाई में न डालो तथा सुसमाचार सुनाओ एवं घृणा मत दिलाओ।"

अनस रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं : हम उमर रज़ियल्लाहु अनहु के पास मौजूद थे कि इसी दौरान उन्होंने कहा : "हमें तकल्लुफ़ करने यानी बिना ज़रूरत कष्ट उठाने से मना किया गया है।"

अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जब तुममें से कोई खाना खाए, तो अपने दाएँ हाथ से खाए और तुममें से कोई कुछ पिए तो अपने दाएँ हाथ से पिए। क्योंकि शैतान अपने बाएँ हाथ से खाता और बाएँ हाथ से पीता है।"

उमर बिन अबू सलमा रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है, वह कहते हैं : मैं बच्चा था और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की देख-रेख में था। (खाना खाते समय) मेरा हाथ बर्तन में चारों ओर घूमा करता था। इसलिए अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मुझसे फ़रमाया : "बच्चे, बिस्मिल्लाह पढ़ लिया करो, दाहिने हाथ से खाया करो और अपने सामने से खाया करो।" चुनांचे उसके बाद हमेशा मैं इसी निर्देश के अनुसार खाना खाता रहा।

अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "निश्चय अल्लाह बंदे की इस बात से खुश होता है कि बंदा कुछ खाए तो उसपर अल्लाह की प्रशंसा करे और कुछ पिए तो उसपर अल्लाह की प्रशंसा करे।"

सलमा बिन अकवा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि एक व्यक्ति ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास बाएँ हाथ से खाना खाया, तो आपने कहा : "दाएँ हाथ से खा।" वह बोला : मैं इसकी ताक़त नहीं रखता। चुनांचे आपने फरमाया : "तूझे इसकी ताक़त न हो ।" दरअसल, उसे अहंकार ने ऐसा करने से रोका था। वर्णनकारी ने कहा : फिर वह अपना हाथ कभी अपने मुँह तक न ले जा सका।

जाबिर बिन अब्दुल्लाह- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः जो लहसुन अथवा प्याज़ खाए, वह हमसे अलग रहे (या कहा कि हमारी मस्जिद से अलग रहे) और घर में बैठ रहे। तथा आपके पास एक हांडी लाई गई, जिसमें हरी सब्ज़ियाँ थीं। आपको उसमें गंध का एहसास हुआ तो उसके बारे में पूछने पर बताया गया कि उसमें हरी सब्ज़ियाँ हैं। तो फ़रमायाः इसे मेरे किसी साथी के निकट कर दो। जब उसे देखा कि वह भी खाना नहीं चाहते तो फ़रमायाः तुम खाओ, क्योंकि मैं उससे बात करता हूँ, जिससे तुम बात नहीं करते। जाबिर बिन अब्दुल्लाह- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- का वर्णन है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः जो लहसुन, प्याज़ और गंदना खाए, वह कदाचित हमारी मस्जिद के निकट न आए, क्योंकि जिस चीज़ से आदम की संतान को कष्ट होता है, उससे फ़रिश्तों को भी कष्ट होता है।

सह्ल बिन मुआज़ अपने पिता से रिवायत करते हैं, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है : "जिसने खाना खाने के बाद यह दुआ पढ़ीः 'الحمدُ للهِ الذي أَطْعَمَنِي هَذَا، وَرَزَقْنِيهِ مِنْ غَيرِ حَوْلٍ مِنِّي وَلَا قُوَّةٍ' (अर्थात - सारी प्रशंसा अल्लाह की है, जिसने मुझे यह खाना खिलाया तथा यह रोज़ी दी, जबकि इसमें मेरी शक्ति तथा सामर्थ्य का कोई दख़ल नहीं है) उसके पिछले सारे गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।"

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब छींकते, तो अपना हाथ या कपड़ा अपने मुँह पर रख लेते और अपनी आवाज़ धीमी (या नीची) रखते।

अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अनहुमा से वर्णित है, उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "अल्लाह को यह प्रिय है कि उसके द्वारा दी गई छूट का लाभ उठाया जाए, जिस तरह उसे यह पसंद है कि उसके अनिवार्य आदेशों का पालन किया जाए।"

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जिसके साथ अल्लाह भलाई का इरादा करता है, उसे मुसीबतों में डालकर आज़माता है।"