अब्दुल्लाह बिन ख़ुबैब रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं : हम एक बारिश वाली तथा अंधेरी रात में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नमाज़...
वरिष्ठ सहाबी अब्दुल्लाह बिन ख़ुबैब रज़ियल्लाहु अनहु बता रहे हैं कि वे एक तेज़ बारिश वाली और अंधेरी रात में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को...
आइशा- रज़ियल्लाहु अन्हा- कहती हैं कि एक दिन रात के समय मुझे अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- नहीं मिले। मैंने ढूँढा तो देखा कि आप रूकू (अथवा...
इस हदीस में आइशा -रज़िल्लाहु अनहा- बयान कर रही हैं कि एक रात उन्हें अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- बिस्तर से गायब मिले, तो उन्होंने आपको तल...
समुरा बिन जुनदुब रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है : “अल्लाह के निकट सबसे प्रिय वाक्य...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि अल्लाह के निकट सबसे प्रिय वाक्य चार हैं :
सुबहान अल्लाह : इसका अर्थ है अल्लाह को हर कमी से पव...
अबू अय्यूब रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : “जिसने दस बार 'ला इलाहा इल्लल्लाहु वह़दहु ला शरीका लहु,...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि जिसने इस ज़िक्र को दिन में दस बार पढ़ा : "ला इलाहा इल्लल्लाहु वह़दहु ला शरीका लहु, लहुल-मुल्कु व...
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है : दो शब्द रहमान (अल्लाह) को बड़े प्रिय हैं, ज़ुबान पर...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया है कि दो वाक्य हैं, जिनको इन्सान आसानी के साथ किसी भी हाल में बोल सकता है, तराज़ू में इनका प्रतिफल बहु...
अब्दुल्लाह बिन ख़ुबैब रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं : हम एक बारिश वाली तथा अंधेरी रात में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नमाज़ पढ़ाने के लिए ढूँढने निकले। उनका कहना है कि हमने जब आपको पाया तो आपने कहा : "तुम कहो।" लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा, तो आपने दोबारा कहा : "तुम कहो।" मैंने फिर भी कुछ नहीं कहा, तो आपने तीसरी बार कहा : "तुम कहो।" इस बार मैंने पूछा कि मैं क्या कहूँ? आपने उत्तर दिया : "तुम सुबह-शाम तीन बार 'क़ुल हुवल्लाहु अह़द', 'क़ुल अऊज़ु बि-रब्बिल फ़लक़' और 'क़ुल अऊज़ु बि-रब्बिन्नास' पढ़ लिया करो। यह तीन सूरतें तुम्हारे लिए हर चीज़ से काफ़ी होंगी।"
आइशा- रज़ियल्लाहु अन्हा- कहती हैं कि एक दिन रात के समय मुझे अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- नहीं मिले। मैंने ढूँढा तो देखा कि आप रूकू (अथवा सजदा) की अवस्था में हैं और कह रहे हैंः "سُبْحَانَك وبِحَمْدِكَ، لا إله إلا أنت" (ऐ अल्लाह, तू पवित्र एवं प्रशंसनीय है। तेरे सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं है)।
तथा एक रिवायत में हैः मेरा हाथ आपके कदमों के भीतरी भाग पर पड़ा, जबकि आप मस्जिद में थे, दोनों क़दम खड़े थे और आप कह रहे थेः "اللَّهُمَّ إني أَعُوذ بِرِضَاك من سَخَطِك، وبِمُعَافَاتِكَ من عُقُوبَتِكَ، وأعُوذ بِك مِنْك، لا أُحْصِي ثَناءً عليك أنت كما أَثْنَيْتَ على نفسك" (ऐ अल्लाह, मैं तेरे क्रोध से तेरी प्रसन्नता की शरण माँगता हूँ, तेरी सज़ा से तेरे क्षमादान की शरण माँगता हूँ और तुझसे तेरी शरण में आता हूँ। मैं तेरी प्रशंसा अधिकार अनुसार नहीं कर सकता। तू वैसा ही है, जैसा तूने अपने बारे में कहा है)।
समुरा बिन जुनदुब रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है : “अल्लाह के निकट सबसे प्रिय वाक्य चार हैं : सुबहान अल्लाह (अल्लाह पाक है), अल-हम्दु लिल्लाह (समस्त प्रकार की प्रशंसा अल्लाह ही के लिए हैं), ला इलाहा इल्लल्लाह (अल्लाह के अतिरिक्त कोई सच्चा पूज्य नहीं है) और अल्लाहु अकबर (अल्लाह सबसे बड़ा है)। इनमें से जिस से चाहो आरंभ करो, हानि की कोई बात नहीं है ”
अबू अय्यूब रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : “जिसने दस बार 'ला इलाहा इल्लल्लाहु वह़दहु ला शरीका लहु, लहुल-मुल्कु व लहुल-हम्दु, व हुवा अला कुल्लि शैइन क़दीर' (अर्थात, अल्लाह के सिवा कोई वास्तविक पूज्य नहीं, वह अकेला है, उसका कोई साझी नहीं है, पूरा राज्य उसी का है और सब प्रशंसा उसी की है और उसके पास हर चीज़ का सामर्थ्य है।) कहा, वह उस व्यक्ति के समान है, जिसने इसमाईल (अलैहिस्सलाम) की संतान में से चार दासों को मुक्त किया।”
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है : दो शब्द रहमान (अल्लाह) को बड़े प्रिय हैं, ज़ुबान पर बड़े हलके हैं और तराज़ू में बड़े भारी होंगे : सुबहानल्लाहिल अज़ीम, सुबहानल्लाहि व बिहम्दिहि (अल्लाह पाक है अपनी प्रशंसा समेत, पाक है अल्लाह जो बड़ा महान है)।”
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : “जिसने दिन भर में सौ बार 'सुबहानल्लाहि व बिह़म्दिहि' (अल्लाह के लिए पवित्रता है उसकी प्रशंसा के साथ) कहा, उसके सारे पाप क्षमा कर दिए जाएँगे, यद्यपि वे समुद्र के झाग के बराबर ही क्यों न हों।”
अबू मालिक अशअरी रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : "पवित्रता आधा ईमान है, अल-हम्दु लिल्लाह तराज़ू को भर देता है, सुबहानल्लाह और अल-हम्दु लिल्लाह दोनों मिलकर आकाश एवं धरती के बीच के खाली स्थान को भर देते हैं, नमाज़ नूर है, सदक़ा प्रमाण है, धैर्य प्रकाश है और क़ुरआन तुम्हारे लिए या तुम्हारे विरुद्ध प्रमाण है। प्रत्येक व्यक्ति जब रोज़ी की खोज में सुबह निकलता है, तो अपने नफ़्स को बेचता है। चुनांचे वह उसे आज़ाद करता है या उसका विनाश करता है।"
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "सुबहानल्लाह, अल-हम्दु लिल्लाह, ला इलाहा इल्लल्लाह और अल्लाहु अकबर कहना, मेरे निकट उन सारी चाज़ों की तुलना में अधिक उत्तम है, जिनपर सूरज निकलता है।"
जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है, वह कहते हैं कि मैं ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को यह फरमाते हुए सुना : "सबसे उत्तम ज़िक्र 'ला इलाहा इल्लल्लाह' और सबसे उत्तम दुआ 'अल-हम्दु लिल्लाह' है।"
ख़ौला बिंत हकीम सुलमिया रज़ियल्लाहु अनहा से वर्णित है, उन्होंने कहा : मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कहते हुए सुना है : "जो किसी स्थान में उतरते समय कहे : 'मैं अल्लाह की पैदा की हुई चीज़ों की बुराई से उसके संपूर्ण शब्दों के द्वारा (उसकी) शरण माँगता हूँ', उसे कोई चीज़ वह स्थान छोड़ने तक नुक़सान नहीं पहुँचा सकती।"
अबू हुमैद या अबू उसैद से रिवायत है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जब तुममें से कोई मस्जिद में प्रवेश करे, तो यह दुआ पढ़े : "اللَّهُمَّ افْتَحْ لِي أَبْوَابَ رَحْمَتِكَ" (ऐ अल्लाह! मेरे लिए अपनी रहमत के द्वार खोल दे) और जब मस्जिद से निकले, तो यह दुआ पढ़े : "اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ" (ऐ अल्लाह! मैं तुझसे तेरा अनुग्रह माँगता हूँ।)
जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि उन्होंने अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कहते हुए सुना है : "जब आदमी अपने घर में प्रवेश करता है और प्रवेश करते समय एवं खाना खाते समय अल्लाह का नाम लेता है, तो शैतान अपने साथियों से कहता है : यहाँ न तुम्हारे लिए रात बिताने का स्थान है और न रात के खाने का प्रबंध। और जब वह घर में प्रवेश करता है तथा प्रवेश करते समय अल्लाह का नाम नहीं लेता, तो शैतान कहता है : तुमने रात बिताने का स्थान पा लिया और जब खाना खाते समय अल्लाह का नाम नहीं लेता, तो कहता है : तुमने रात बिताने की जगह तथा रात का खाना दोनों पा लिया।"