- तहारत के दो प्रकार हैं। एक ज़ाहिरी (प्रत्यक्ष) तहारत, जो वज़ू एवं स्नान से प्राप्त होती है और दूसरा बातिनी (परोक्ष) तहारत, जो तौहीद (एकेश्वरवाद), ईमान और अच्छे कर्म से प्राप्त होती है।
- नमाज़ की पाबंदी करने का महत्व। क्योंकि नमाज़ बंदे के लिए दुनिया में तथा क़यामत के दिन प्रकाश है।
- सदक़ा सच्चे ईमान का प्रमाण है।
- क़ुरआन पर अमल करने और उसे सच्ची किताब मानने का महत्व। इससे क़ुरआन इन्सान के पक्ष में प्रमाण बन जाता है। उसके विरुद्ध नहीं।
- नफ़्स (आत्मा, मन) अगर अल्लाह के आज्ञापालन में न लगाया जाए, वह इन्सान को अल्लाह की अवज्ञा में लगा देता है।
- हर इन्सान कोई न कोई काम ज़रूर करता है। काम चाहे अल्लाह को राज़ी करने वाला हो, जो उसे जहन्नम से मुक्ति प्रदान करता है या उसे नाराज़ करने वाला, जो उसका विनाश कर देता है।
- सब्र के लिए सहन शक्ति तथा आत्म मूल्यांकन की ज़रूरत होती है, जो कि एक कठिन कार्य है।