- शरण लेना भी इबादत है। यानी अल्लाह या उसके नामों की शरण लेना या उसके गुणों द्वारा उसकी शरण लेना।
- अल्लाह की वाणी के द्वारा शरण लेना जायज़ है। क्योंकि यह अल्लाह के गुणों में से एक गुण है। जबकि किसी सृष्टि की शरण लेना न सिरफ़ यह कि जायज़ नहीं है, बल्कि शिर्क है।
- इस दुआ की फ़ज़ीलत तथा बरकत।
- अपनी सुरक्षा के लिए अज़कार पढ़ने से अल्लाह बंदे को बुराइयों से सुरक्षित रखता है।
- अल्लाह को छोड़ कर किसी और की, मसलन जिन्नों, जादूगरों और करतब दिखाने वालों की शरण लेने का खंडन।
- यात्रा के दौरान या बिना यात्रा के कहीं उतरते समय इस दुआ को पढ़ना चाहिए।