अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "दया करने वालों पर दयावान अल्लाह दया करता है...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि जो लोग दूसरों पर दया करते हैं, उनपर दयावान अल्लाह दया करता है, जिसकी दया के दायरे के विस्तार में...
अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "मुसलमान वह है, जिसकी ज़बान और हाथ से मुसलमा...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया है कि पूरा मुसलमान वह है, जिसकी ज़बान से मुसलमान सुरक्षित रहें कि वह किसी को गाली न दे, किसी पर धिक्का...
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि मैैंनेे अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को यह कहते हुए सुना है : "एक मुसलमान के दूसरे...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एक मुसलमान के दूसरे मुसलमान पर कुछ अधिकार बयान कर रहे हैं। इनमें से पहला अधिकार सलाम करने वाले के सलाम का जवाब...
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "तुम जन्नत में उस समय तक प्रवेश नहीं कर स...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया है कि जन्नत में केवल ईमान वाले ही प्रवेश करेंगे, जबकि ईमान के संपूर्ण होने और मुस्लिम समाज के सठीक होन...
अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अनहुमा से रिवायत है कि एक आदमी ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछा कि इस्लाम का कौन-सा कार्य सबसे अच्छा...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछा गया कि इस्लाम का कौन-सा काम सबसे अच्छा है, तो आपने दो कामों का ज़िक्र किया :
1- ग़रीबों को ज़्यादा स...
अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "दया करने वालों पर दयावान अल्लाह दया करता है। तुम ज़मीन वालों पर दया करो, आकाश वाला तुमपर दया करेगा।"
अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "मुसलमान वह है, जिसकी ज़बान और हाथ से मुसलमान सुरक्षित रहें और मुहाजिर वह है, जो अल्लाह की मना की हुई चीज़ें छोड़ दे।"
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि मैैंनेे अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को यह कहते हुए सुना है : "एक मुसलमान के दूसरे मुसलमान पर पाँच अधिकार हैं; सलाम का उत्तर देना, बीमार व्यक्ति का हाल जानने के लिए जाना, जनाज़े के पीछे चलना, निमंत्रण स्वीकार करना और छींकने वाले का उत्तर देना।"
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "तुम जन्नत में उस समय तक प्रवेश नहीं कर सकते, जब तक ईमान न लाओ, और तुम उस समय तक मोमिन नहीं हो सकते, जब तक एक-दूसरे से प्रेम न करने लगो। क्या मैं तुम्हारा पथ पर्दशन ऐसे कार्य की ओर न कर दूँ, जिसे यदि तुम करोगे, तो एक-दूसरे से प्रेम करने लगोगे? अपने बीच में सलाम को आम करो।"
अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अनहुमा से रिवायत है कि एक आदमी ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछा कि इस्लाम का कौन-सा कार्य सबसे अच्छा है? आपने उत्तर दिया : "यह कि तुम खाना खिलाओ और जाने-पहचाने तथा अनजान सबको सलाम करो।"
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : ''क्या मैं तुम्हें ऐसी बातें न बताऊँ, जिनके ज़रिए अल्लाह गुनाहों को मिटा देता है और दर्जे ऊँचे कर देता है?" सहाबा ने कहा : अवश्य ऐ अल्लाह के रसूल! फ़रमाया : "परेशानियों के बावजूद अच्छी तरह वज़ू करना, इन्सान का अधिक से अधिक मस्जिद जाना और नमाज़ के बाद अगली नमाज़ की प्रतीक्षा करना। यही पहरेदारी है।''
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : “शक्तिशाली मोमिन कमज़ोर मोमिन के मुकाबले में अल्लाह के समीप अधिक बेहतर तथा प्रिय है, किंतु प्रत्येक के अंदर भलाई है। जो चीज तुम्हारे लिए लाभदायक हो, उसके लिए तत्पर रहो और अल्लाह की मदद मांगो तथा असमर्थता न दिखाओ। फिर यदि तुम्हें कोई विपत्ति पहुँचे, तो यह न कहो कि यदि मैंने ऐसा किया होता, तो ऐसा और ऐसा होता। बल्कि यह कहो कि "قدر الله وما شاء فعل" (अर्थात् अल्लाह तआला ने ऐसा ही भाग्य में लिख रखा था और वह जो चाहता है, करता है।) क्योंकि ‘अगर’ शब्द शैतान के कार्य का द्वार खोलता है।”
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "संतुलित रहा करो और सीधे चला करो। जान लो कि तुममें से कोई हरगिज़ अपने अमल से मुक्ति नहीं पा सकता।" सहाबा ने कहाः आप भी नहीं, ऐ अल्लाह के रसूल? तो फ़रमायाः "मैं भी नहीं! यह और बात है कि अल्लाह मुझे अपनी दया एवं कृपा में ढाँप ले।"
अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अनहुमा से वर्णित है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जिबरील मुझे बराबर पड़ोसी के बारे में ताकीद करते रहे, यहाँ तक कि मुझे लगने लगा कि वह उसे वारिस बना देंगे।"
अबू दरदा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : “जो अपने भाई की मान-सम्मान की रक्षा करेगा, क़यामत के दिन अल्लाह जहन्नम की अग्नि से उसकी रक्षा करेगा।”
अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : ''तुममें से कोई व्यक्ति उस समय तक मोमिन नहीं हो सकता, जब तक कि अपने भाई के लिए वही पसंद न करे, जो अपने लिए पसंद करता है।''
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नी आइशा रज़ियल्लाहु अनहा से वर्णित है कि आपने फ़रमाया : "दयालुता जिसमें भी होती है, उसे सुंदर बना देती है और जिससे निकाल ली जाती है, उसे कुरूप कर देती है।"