बह्ज़ बिन हकीम से वर्णित है, वह अपने पिता से और वह अपने दादा से रिवायत करते हैं, वह कहते हैं कि मैंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल ! मैं (सबसे ज़्यादा) अच्छ...
यह हदीस रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार करने तथा उनपर उपकार करने की प्रेरणा देती है। साथ ही बताती है कि अच्छे व्यवहार एवं उपकार का सबसे ज़्यादा हक़दा...
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "क्या तुम जानते हो कि ग़ीबत (चुग़लखोरी-पिशुनता) क्या है...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ग़ीबत की, जो कि हराम है, परिभाषा बता रहे हैं। ग़ीबत की परिभाषा है : किसी मुसलमान की अनुपस्थिति में उसके बारे मे...
अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अनहुमा से वर्णित है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "हर नशे वाली वस्तु शराब है और...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम ने बताया है कि मानव से उसका विवेक छीन लेने वाली हर चीज़ अरबी भाषा के शब्द "ख़म्र" के दायरे में आएगी, और नशा लाने...
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं : "अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल- ने किसी फैसले के लिए रिश्वत लेने वाले तथा देने वाले द...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने रिश्वत देने और लेने वाले के हक़ में अल्लाह की रहमत से धुतकारे और दूर किए जाने की बद-दुआ की है। इसके दायरे...
अबू हुरैरा- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः तुम एक-दूसरे से ईर्ष्या न करो, न क्रय-विक्रय के समय ब...
इस हदीस में अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने हम मुसलमानों का मार्गदर्शन हमारे एक कर्तव्य की ओर करते हुए किया है कि हमें आपस में प्रेम रखना...

बह्ज़ बिन हकीम से वर्णित है, वह अपने पिता से और वह अपने दादा से रिवायत करते हैं, वह कहते हैं कि मैंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल ! मैं (सबसे ज़्यादा) अच्छा व्यवहार किसके साथ करूँ? आपने फ़रमाया : " अपनी माँ के साथ, फिर अपनी माँ के साथ, फिर अपनी माँ के साथ, फिर अपने बाप के साथ, फिर उनके बाद जो निकटतम संबंधी हों उनके साथ, फिर उनके बाद जो निकटतम संबंधी हों उनके साथ।”

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "क्या तुम जानते हो कि ग़ीबत (चुग़लखोरी-पिशुनता) क्या है?" सहाबा ने कहा : अल्लाह और उसका रसूल अधिक जानते हैं। फ़रमाया : "तेरा अपने भाई की चर्चा ऐसी बात से करना, जो उसे पसंद न हो।" सहाबा ने पूछा : आपका क्या विचार है, यदि वह बात जो मैं कहता हूँ, सच-मुच मेरे भाई में हो? फ़रमाया : "यदि वह बात उसमें है, जो तुम कहते हो, तो तुमने उसकी चुग़लखोरी की और यदि नहीं है, तो तुमने उसपर झूठा आरोप लगाया।"

अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अनहुमा से वर्णित है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "हर नशे वाली वस्तु शराब है और हर नशे वाली वस्तु हराम है। जिसने दुनिया में शराब पी और इसी लत के साथ तौबा किए बिना मर गया, वह आख़िरत में उससे वंचित रहेगा।"

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं : "अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल- ने किसी फैसले के लिए रिश्वत लेने वाले तथा देने वाले दोनों के ऊपर लानत भेजी है।"

अबू हुरैरा- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः तुम एक-दूसरे से ईर्ष्या न करो, न क्रय-विक्रय के समय बोली बढ़ाकर एक-दूसरे को धोखा दो, न एक-दूसरे से द्वेष रखो, न एक-दूसरे से पीठ फेरो और न तुममें से कोई किसी के सौदे पर सौदा करे तथा ऐ अल्लाह के बंदो! आपस में भाई-भाई बन जाओ। एक मुसलमान दूसरे मुसलमान का भाई है; न उसपर अत्याचार करे, न उसे बेसहारा छोड़े, न उससे झूठ बोले और न उसे तुच्छ जाने। तक़वा यहाँ है। (यह कहते समय अपने सीने की ओर इशारा किया और तीन बार यह बात कही) आदमी के बुरा होने के लिए इतना ही काफ़ी है कि अपने मुसलमान भाई को तुच्छ जाने। हर मुसलमान का रक्त, उसका धन और उसका मान-सम्मान दूसरे मुसलमान पर हराम है।

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "बुरे गुमान से बचो, क्योंकि बुरा गुमान सबसे झूठी बात है। किसी की छुपी हुई बातों को देखने और सुनने का प्रयास मत करो, किसी की कमियों-कोताहियों के पीछे न पड़ो, एक-दूसरे से ईर्ष्या मत करो, एक-दूसरे से मुँह न फेरो, एक-दूसरे से कीना-कपट न रखो और अल्लाह के बंदो! भाई-भाई बनकर रहो।"

हुज़ैफ़ा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, उन्होंने कहा : मैंने अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कहते हुए सुना है : "जन्नत में लगाई-बुझाई करने वाला व्यक्ति प्रवेश नहीं करेगा।"

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कहते हुए सुना है : "मेरी उम्मत के सभी लोगों को माफ़ कर दिया जाएगा, सिवाय उनके जो खुलम-खुल्ला गुनाह करते हैं। तथा खुलम-खुल्ला गुनाह करने का एक रूप यह है कि आदमी रात को कोई गुनाह करे और सुबह आए तो वह कहता फिरे कि ऐ अमुक! मैंने रात को ऐसा और ऐसा किया है, हालांकि अल्लाह ने उसे लोगों से छुपा रखा था। उसके रब ने रात भर उसके गुनाह को छिपा रखा, लेकिन उसने सुबह को अल्लाह के डाले हुए परदे को उठा दिया।"

अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है : अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मक्का विजय के दिन लोगों को संबोधित करते हुए कहा : "ऐ लोगो! अल्लाह ने तुमसे जाहिलीयत काल के अभिमान एवं बाप-दादाओं पर फ़ख़्र (घमंड) करने की प्रवृत्ति को दूर कर दिया है। अतः अब लोग दो प्रकार के हैं। एक, नेक, परहेज़गार और अल्लाह के यहाँ सम्मानित एवं दूसरा दुष्ट, अभागा तथा अल्लाह की नज़र में महत्वहीन व्यक्ति। सारे लोग आदम की संतान हैं और आदम को अल्लाह ने मिट्टी से पैदा किया है। उच्च एवं महान अल्लाह ने कहा है : "ऐ मनुष्यो! हमने तुम्हें एक नर और एक मादा से पैदा किया तथा हमने तुम्हें जातियों और क़बीलों में कर दिया, ताकि तुम एक-दूसरे को पहचान सको। निःसंदेह अल्लाह के निकट तुममें सबसे अधिक सम्मान वाला वह है, जो तुममें सबसे अधिक तक़्वा (धर्मप्रायणता) वाला है। निःसंदेह अल्लाह सब कुछ जानने वाला, पूरी ख़बर रखने वाला है।" [सूरा अल-हुजुरात : 13]

आइशा रज़ियल्लाहु अनहा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : ”अल्लाह के पास सबसे घृणित व्यक्ति वह है, जो अत्यधिक झगड़ालू तथा हमेशा विवाद में रहने वाला हो।”

अबू बकरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, उन्होंने कहा : मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कहते हुए सुना है : "जब दो मुसलमान अपनी-अपनी तलवारें लेकर आपस में भिड़ जाएँ तो मरने वाला और मारने वाला दोनों जहन्नमी हैं।" मैंने सादर कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल! यह तो मारने वाला है, (जिसका जहन्नमी होना तो समझ में आता है) लेकिन मरने वाला क्यों जहन्नमी होगा? आपने फ़रमाया : "उसकी नीयत भी दूसरे साथी को मारने की थी।"

अबू मूसा अशअरी रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जिसने हमपर हथियार उठाया, वह हममें से नहीं है।"