अबुल हौरा सादी कहते हैं : मैंने हसन बिन अली रज़ियल्लाहु अनहुमा से पूछा : आपने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से क्या याद किया है? उन्होंने उत...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ऐसे कार्यों एवं कथनों से दूर रहने का आदेश दिया है, जिनके बारे में संदेह हो कि वर्जित हैं या नहीं? हलाल हैं य...
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अंहु) का वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "अल्लाह ने मेरी उम्मत की वह बातें माफ़ कर रखी हैं, जो उनके दिल...
इस हदीस में कहा गया है कि मन में आने वाले ख़यालात तथा विचारों के बारे में इन्सान पूछा नहीं जाएगा, जब तक उन्हें ज़बान से न बोले अथवा उनपर अमल न करे। यह...
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "अल्लाह तुम्हारे रूप और तुम्हारे धनों को...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि अल्लाह बंदों के रूप-रंग और उनके शरीर को नहीं देखता कि खूबसूरत है या बदसूरत? स्वस्थ है या बीमार?...
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "बेशक अल्लाह को ग़ैरत (स्वाभिमान) आती है और मोमिन को...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि बेशक अल्लाह को ग़ैरत आती है तथा वह नफ़रत एवं नापसंद करता है, जिस तरह कि मोमिन को ग़ैरत आती है और...
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "तुम लोग सात विनाशकारी वस्तुओं से बचो।" लोगों ने कहा :...
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपनी उम्मत को सात विनाशकारी अपराधों एवं गुनाहों से बचने का आदेश दे रहे हैं। जब आपसे पूछा गया कि यह सात गुनाह क्...
अबुल हौरा सादी कहते हैं : मैंने हसन बिन अली रज़ियल्लाहु अनहुमा से पूछा : आपने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से क्या याद किया है? उन्होंने उत्तर दिया : मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से यह याद किया है : "जो चीज़ तुम्हें संदेह में डाले, उसे छोड़कर वह अख़्तियार करो, जो संदेह में न डाले। क्योंकि सच्चाई इत्मीनान है और झूठ शक व शुबह है।"
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अंहु) का वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "अल्लाह ने मेरी उम्मत की वह बातें माफ़ कर रखी हैं, जो उनके दिलों में आएँ, जब तक अमल न करे अथवा ज़ुबान से न बोले।" क़तादा कहते हैंः यदि कोई व्यक्ति दिल ही दिल में तलाक़ दे दे, तो उसे कुछ नहीं माना जाएगा।
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "अल्लाह तुम्हारे रूप और तुम्हारे धनों को नहीं देखता, बल्कि तुम्हारे दिलों और कर्मों को देखता है।"
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "बेशक अल्लाह को ग़ैरत (स्वाभिमान) आती है और मोमिन को भी ग़ैरत आती है। अल्लाह को ग़ैरत इस बात पर आती है कि मोमिन वह कार्य करे, जिसे अल्लाह ने हराम (वर्जित) किया है।"
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "तुम लोग सात विनाशकारी वस्तुओं से बचो।" लोगों ने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! वह क्या-क्या हैं? आपने फ़रमाया : "अल्लाह का साझी बनाना, जादू, अल्लाह के हराम किए हुए प्राणी को औचित्य ना होने के बावजूद क़त्ल करना, ब्याज खाना, यतीम का माल खाना, युद्ध के मैदान से पीठ दिखाकर भागना और निर्दोष भोली-भाली मोमिन स्त्रियों पर व्यभिचार का आरोप लगाना।"
अबू बकरा रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है, उन्होंने कहा : अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रनाया : "क्या मैं तुम्हें सबसे बड़े गुनाहों के बारे में न बताऊँ?" आपने यह बात तीन बार दोहराई। हमने कहा : अवश्य, ऐ अल्लाह के रसूल! तो आपने फ़रमाया : "अल्लाह का साझी बनाना और माता-पिता की बात न मानना।" यह कहते समय आप टेक लगाए हुए थे, लेकिन सीधे बैठ गए और फ़रमाया : "सुन लो, झूठी बात कहना (भी बड़ा गुनाह है)।" यह बात आप इतनी बार दोहराते रहे कि हमने कहा कि काश आप खामोश हो जाते।
अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "बड़े गुनाह हैं, अल्लाह का साझी बनाना, माता-पिता की अवज्ञा करना, किसी की हत्या करना और झूठी क़सम खाना।"
अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "क़यामत के दिन लोगों के बीच सबसे पहले रक्त के बारे में निर्णय किया जाएगा।"
अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जो आदमी किसी 'मुआहद' (वह ग़ैरमुस्लिम, जिसके साथ मुसलमानों का शांति समझौता हो) को क़त्ल करेगा, वह जन्नत की ख़ुश्बू तक न पाएगा, जबकि जन्नत की ख़ुश्बू चालीस बरस की दूरी तक पहुँचती है।"
जुबैर बिन मुतइम रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि उन्होंने अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कहते हुए सुना : "जन्नत में वह व्यक्ति प्रवेश नहीं करेगा, जो रिश्ते-नातों को काटता हो।"
अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "जो चाहता हो कि उसकी रोज़ी फैला दी जाए और उसकी आयु बढ़ा दी जाए, वह अपने रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार करे।"
अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "रिश्तों-नातों को निभाने वाला वह नहीं है जो एहसान के बदले एहसान करे, बल्कि असल रिश्तों-नातों को निभाने वाला वह है जो उससे संबंध विच्छेद किए जाने के बावजूद उसे जोड़े।"