- झूठी क़सम इतना बड़ा गुनाह और भयावह अपराध है कि इसका कफ़्फ़ारा (प्रायश्चित) नहीं है। इसकी माफ़ी के लिए तौबा ज़रूरी है।
- इस हदीस में इन चार कबीरा गुनाहों का ज़िक्र इनकी संगीनी को सामने रखते हुए किया गया है। यह बताने के लिए नहीं कि कबीरा गुनाह बस चार ही हैं।
- गुनाहों के दो प्रकार हैं। कबीरा गुनाह और सग़ीरा गुनाह। कबीरा गुनाह हर वह गुनाह है, जिसकी कोई दुनियावी सज़ा निर्धारित हो। जैसे हुदूद एवं लानत आदि। या फिर जिसपर कोई आख़िरत की चेतावनी दी गई हो। जैसे जहन्नम में प्रवेश करने की चेतावनी। कबीरा गुनाह कई श्रेणियों के होते हैं। कुछ कबीरा गुनाह अन्य कुछ के मुक़ाबले में अधिक सख़्त हराम होते हैं। सग़ीरा गुनाह कबीरा गुनाहों को छोड़ अन्य गुनाहों को कहते हैं।