- किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में बुरा गुमान रखना हानिकर नहीं है, जिसके अंदर उसकी अलामतें दिखाई पड़ती हों। मोमिन को चेतनशील और सावधान रहना चाहिए कि दुष्ट एवं दुराचारी लोगों से धोखा न खाए।
- यहाँ उद्देश्य उस बुरे गुमान से सावधान करना है, जो दिल में बैठ जाए और निकलने का नाम न ले। जहाँ तक ऐसे बुरे गुमान की बात है, जो दिल में आए और ठहरे बिना निकल जाए, तो उसपर कोई गुनाह नहीं होगा।
- किसी की बुराई की खोज में रहना एवं ईर्ष्या आदि वह सारी चीज़ें हराम हैं, जो मुस्लिम समाज के सदस्यों के बीच आपसी नफ़रत एवं संबंध विच्छेद का कारण बनती हैं।
- इस बात का आदेश कि एक मुसलमान के साथ भाई जैसा व्यवहार करते हुए उसका शुभचिंतन करना चाहिए और उससे प्रेम रखना चाहिए।