- ख़ुतबा सुनते समय बात करना हराम है। यहाँ तक कि किसी ग़लत काम से रोकने, सलाम का जवाब देने और छींकने के बाद अल-हम्दु लिल्लाह कहने वाले के जवाब में यरहमुकल्लाह कहने के लिए बात करना भी।
- इस मनाही के दायरे से वह व्यक्ति अलग है, जो इमाम को संबोधित करके कोई बात कहे या इमाम उसको संबोधित करके कोई बात कहे।
- ज़रूरत के समय दो ख़ुतबों के बीच में बात करना जायज़ है।
- जब खुतबे के दौरान अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का नाम आए, तो आपपर दरूद व सलाम आहिस्ता से भेजा जाएगा। यही हाल दुआ पर आमीन कहने का भी है।