- फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद इस ज़िक्र को पढ़ना मुसतहब है।
- इस ज़िक्र को पढ़ना गुनहों को मिटा दिए जाने का सबब है।
- अल्लाह का नितांत अनुग्रह, कृपा, दया एवं क्षमा।
- यह ज़िक्र गुनाहों की क्षमा का सबब तो है, लेकिन क्षमा केवल छोटे गुनाहों की मिल सकती है, बड़े गुनाहों के लिए तौबा ज़रूरी है।