- नमाज़ पढ़ रहे व्यक्ति को जब नमाज़ की रकातों के बारे में संदेह हो जाए और यक़ीन के साथ निर्णय न ले सके कि कितनी रकात पढ़ी है, तो संदेह को दूर रखकर यक़ीन के अनुसार काम करे। यानी कम को दुरुस्त मानकर नमाज़ पूरी करे और सलाम फेरने से पहले सह्व के सजदे करके सलाम फेरे।
- सह्व के दोनों सजदे दरअसल नमाज़ के अंदर आ जाने वाली कमी को दूर करने और शैतान को नाकाम व नामुराद वापस करने का ज़रिया हैं।
- इस हदीस में जिस संदेह का ज़िक्र है, उससे मुराद ऐसा शक है, जिसमें कोई रुझान न पाया जाए। अगर कोई रुझान पाया जाए और मन का झुकाव उसी की ओर हो, तो उसी पर अमल किया जाएगा।
- शैतान की ओर से दिल में डाले जाने वाले बुरे ख़्यालों से लड़ने और शरीयत के आदेश का पालन करके उन्हें दूर हटाने की प्रेरणा।