- इस तशह्हुद का स्थान हर नमाज़ के अंतिम सजदे के बाद की बैठक और तीन एवं चार रकात वाली नमाज़ों में दूसरी रकात के बाद की बैठक है।
- तशह्हुद में 'अल-तहिय्यात' पढ़ना वाजिब है। अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से साबित शब्दों में से किसी भी शब्द द्वारा तशह्हुद पढ़ना जायज़ है।
- नमाज़ में इन्सान जो दुआ चाहे माँग सकता है, जब तक उसमें कोई गुनाह की बात न हो।
- दुआ के आरंभ में अपने लिए दुआ करना मुसतहब है।