- तशह्हुद के तौर पर पढ़े जाने वाले शब्द समूहों में से एक शब्द समूह का वर्णन।
- नमाज़ के सभी कार्यों एवं कथनों का अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से साबित होना ज़रूरी है। नमाज़ में कोई ऐसा कार्य अथवा कथन जायज़ नहीं है, जो सुन्नत से साबित न हो।
- नमाज़ में न तो इमाम से आगे बढ़ना जायज़ है और न उससे पीछे रह जाना जायज़ है। होना यह चाहिए कि इमाम का अनुसरण किया जाए।
- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह का संदेश लोगों को पहुँचाने और अपनी उम्मत को दीन के अहकाम सिखाने पर विशेष ध्यान देते थे।
- इमाम मुक़तदियों का आदर्श होता है। इसलिए मुक़तदी नमाज़ के कामों में न इमाम से आगे बढ़ेगा, न उन्हें उसके साथ-साथ करेगा और न उससे पीछे रह जाएगा। बल्कि उसका इस तौर पर अनुसरण करेगा कि जब उसे विश्वास हो जाएगा कि जो काम वह करने जा रहा है, इमाम उसमें प्रवेश कर चुका है, तो वह उसे आरंभ करेगा। यही अनुसरण सुन्नत है।
- नमाज़ में सफ़ें सीधी एवं सठीक करने की ज़रूरत।