- उस ज़िक्र का बयान जो रुकू से सर उठाते समय कहना मुसतहब है।
- रुकू से उठने के बाद पूरे इत्मीनान (शांति एवं स्थिरता) के साथ सीधा खड़ा होना ज़रूरी है। क्योंकि इस पूरे ज़िक्र को उसी समय पढ़ना संभव है, जब आदमी पूरे इत्मीनान के साथ खड़ा हो।
- इस ज़िक्र को हर नमाज़ में पढ़ना शरीयत सम्मत है। नमाज़ चाहे फ़र्ज़ हो या नफ़ल।