- अस्र की नमाज़ को उसके प्रथम समय में पढ़ने की प्रेरणा।
- यहाँ अस्र की नमाज़ छोड़ने वाले को बड़ी सख़्त चेतावनी दी गई है। अस्र की नमाज़ को समय पर न पढ़ना अन्य नमाज़ों को समय पर न पढ़ने से अधिक बड़ा गुनाह है। क्योंकि यही वह बीच की नमाज़ है, जिसका विशेष रूप से आदेश क़ुरआन की इस आयत में दिया गया है : "सब नमाज़ों का और (विशेषकर) बीच की नमाज़ (अस्र) का ध्यान रखो।" [सूरा अल-बक़रा : 238]