- फ़ज्र एवं अस्र की नमाज़ पाबंदी से पढ़ने की फ़ज़ीलत, क्योंकि फ़ज्र की नमाज़ मीठी नींद के समय पढ़ी जाती है और अस्र की नमाज़ काम-काज के समय। ज़ाहिर सी बात है कि जो इन दोनों नमाज़ों को पाबंदी से पढ़ेगा, उससे अन्य नमाज़ें छूट नहीं सकतीं।
- फ़ज्र एवं अस्र की नमाज़ को ठंडी नमाज़ों का नाम इसलिए दिया गया है कि फ़ज्र की नमाज़ के समय रात की ठंडक हुआ करती है और अस्र की नमाज़ के समय दिन की ठंडक। वैसे तो अस्र की नमाज़ गर्मी के समय पढ़ी जाती है, लेकिन उस समय गर्मी पहले से कम हो जाया करती है। ऐसा भी हो सकता है कि यह नाम एक को दूसरे पर हावी करते हुए दिया गया हो, जैसा कि अरबों के यहाँ सूरज और चाँद को अल-क़मरान यानी दो चाँद कहा जाता है।