- नमाज़ के आरंभ की दुआ धीमी पढ़ी जाएगी, नमाज़ चाहे जहरी (ऊँची आवाज़ में क़िरात वाली) ही क्यों न हो।
- सहाबा अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की एक-एक बात को जानने का प्रयास करते थे।
- नमाज़ के आरंभ में पढ़ने की और भी दुआएँ आई हुई हैं। बेहतर यह है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से वर्णित एवं साबित सभी दुआओं को याद कर लिया जाए और कभी इसे तो कभी उसे पढ़ा जाए।