- जमात के साथ नमाज़ पढ़ना वाजिब है, क्योंकि छूट किसी ऐसी चीज़ में ही दी जाती है जो वाजिब एवं लाज़िम हो।
- हदीस के शब्द “फिर तो तुम अवश्य उसे ग्रहण करो (यानी नमाज़ पढ़ने के लिए मस्जिद आओ)।” से मालूम होता है कि अज़ान सुनने वाले पर मस्जिद में उपस्थित होकर नमाज़ पढ़ना वाजिब है। क्योंकि आदेश मूलतः वाजिब होने को साबित करता है।