- बंदे की तौबा उस समय तक क़बूल होगी, जब तक तौबा का द्वार खुला रहे। याद रहे कि तौबा का द्वार पश्चिम से सूरज निकलने के बाद बंद हो जाएगा। इसी तरह तौबा क़बूल होने के लिए ज़रूरी है कि बंदा आत्मा के गले तक पहुँचने से पहले तक तौबा कर ले।
- इन्सान को गुनाह के कारण मायूस नहीं होना चाहिए। क्योंकि अल्लाह बड़ा क्षमा करने वाला एवं दयालु है, और तौबा का द्वार खुला हुआ है।
- तौबा की शर्तें : 1- गुनाह से खुद को दूर कर लेना। 2- उसमें संलिप्त होने पर शर्मिंदा होना। 3- इस बात का पक्का इरादा कर लेना कि वह गुनाह फिर कभी नहीं करेगा। उल्लिखित तीनों शर्तें उस समय हैं, जब गुनाह का संबंध अल्लाह के किसी अधिकार के हनन से हो। अगर गुनाह का संबंध बंदे के किसी अधिकार के हनन से हो, तो तौबा के सही होने के अलावा अधिकार वाले को उसका अधिकार लौटाना या उससे क्षमा प्राप्त करना ज़रूरी है।