- यह हदीस उन हदीसों में से है, जो अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने रब से रिवायत करके कहा है। इस तरह की हदीस को हदीस-ए-क़ुदसी या हदीस-ए-इलाही कहा जाता है। इससे मुराद वह हदीस है, जिसके शब्द तथा अर्थ दोनों अल्लाह के हों। अलबत्ता इसके अंदर क़ुरआन की विशेषताएँ, जैसे उसकी तिलावत का इबादत होना, उसके लिए तहारत प्राप्त करना तथा उसका चमत्कार होना आदि, नहीं पाई जाती।
- इन्सान को जो भी ज्ञान तथा मार्गदर्शन प्राप्त होता है, वह अल्लाह के मार्ग दिखाने और उसकी शिक्षा से प्राप्त होता है।
- इन्सान को जो भलाई मिलती है, वह अल्लाह के अनुग्रह से मिलती है और जो बुराई मिलती है, वह उसकी आत्मा और खुद उसकी बुराइयों की चाहत ओर से होती है।
- जिसने अच्छा काम किया, उसने अल्लाह के सुयोग प्रदान करने के कारण किया और उसका प्रतिफल अल्लाह का अनुग्रह है, अतः सारी प्रशंसा अल्लाह की है। इसके विपरीत जिसने बुरा काम किया, वह केवल अपने आपको कोसे।