- यह हदीस बुराई को बदलने के विभिन्न स्तरों को बताती है।
- इस हदीस में बुराई को बदलने का काम अपनी क्षमता एवं शक्ति अनुसार करने का आदेश दिया गया है।
- बुराई से रोकना एक बहुत बड़ा काम है। किसी को भी इसे छोड़ने की अनुमति नहीं है। हर मुसलमान को अपनी क्षमता अनुसार यह काम करना है।
- भलाई का आदेश देना और बुराई से रोकना ईमान की शाखाओं में से एक शाखा है। ईमान घटता तथा बढ़ता है।
- किसी बुरे काम से रोकने के लिए उस काम के बुरा होने का ज्ञान होना शर्त है।
- बुराई से रोकने की एक शर्त यह है कि रोकने के कारण उससे बड़ी बुराई सामने न आए।
- बुराई से रोकने के कुछ नियम और शर्तें हैं। एक मुसलमान को उन्हें सीख लेना चाहिए।
- बुराई के खंडन के लिए शरई नीति, ज्ञान और अंतर्दृष्टि की आवश्यकता होती है।
- दिल से भी खंडन न करना ईमान के कमज़ोर होने की दलील है।