- शासक जब तक किसी ऐसे कार्य का आदेश न दें, जिससे अल्लाह की नाफ़रमानी न होती हो, तो उनके आदेश का पालन करना वाजिब है।
- इस हदीस में इमाम (शासक) के अनुसरण से बाहर निकलने और मुसलमानों की जमात से अलग हो जाने से बहुत ज़्यादा सावधान किया गया है। अगर कोई व्यक्ति इस तरह की हालत में मर जाता है, तो जाहिलीयत काल के लोगों की मौत मरता है।
- इस हदीस में पक्षपात पर आधारित युद्ध से मना किया गया है।
- वचन पूरा करना वाजिब है।
- इमाम (शासक) और जमात से जुड़े रहने के बहुत-से फ़ायदे हैं। इससे शांति एवं सद्भाव का माहौल रहता है और सब कुछ ठीक रहता है।
- जाहिलीयत काल के लोगों के हालात की मुशाबहत (समरुपता) अपनाने की मनाही।
- मुसलमानों की जमात से अनिवार्य रूप से जुड़े रहने का आदेश।