- यह हदीस उन हदीसों में से एक है, जिन्हें अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने पाक रब से रिवायत किया है। इस तरह की हदीसों को हदीस-ए-क़ुदसी या हदीस-ए-इलाही कहा जाता है। इससे मुराद वह हदीस है, जिसके शब्द एवं अर्थ दोनों अल्लाह के हों। अलबत्ता, इसके अंदर क़ुरआन की विशेषताएँ, जैसे उसकी तिलावत का इबादत होना, उसके लिए तहारत हासिल करना, उसका चमत्कार होना और उस जैसी वाणी प्रस्तुत करने की चुनौती देना, आदि नहीं पाई जातीं।
- अल्लाह के वलियों को कष्ट देने की मनाही तथा उनसे मोहब्बत रखने और उनकी फ़ज़ीलत को स्वीकार करने की प्रेरणा।
- अल्लाह के दुश्मनों से दुश्मनी रखने का आदेश और उनसे दोस्ती रखने की मनाही।
- जिसने अल्लाह की शरीयत का अनुसरण किए बग़ैर उसके वली होने का दावा किया, वह अपने दावे में झूठा है।
- अल्लाह के वली बनने का सौभाग्य उसके द्वारा अनिवार्य किए गए कामों को करने और उसकी हराम की हुई चीज़ों को छोड़ने के बाद प्राप्त होता है।
- अल्लाह की मोहब्बत की प्राप्ति और उसके यहाँ दुआ ग्रहण होने का एक सबब अल्लाह के अनिवार्य किए हुए कार्यों को करने और उसकी हराम की हुई चीज़ों को छोड़ने के बाद नफ़ल इबादतें करना है।
- वलियों की श्रष्ठता एवं उच्च स्थान का उल्लेख।