- अल्लाह के उस अधिकार का बयान, जिसे उसने अपने बंदों पर वाजिब किया। वह अधिकार यह है कि बंदे केवल उसी की इबादत करें और किसी को उसका साझी न बनाएँ।
- अल्लाह पर बंदों के उस अधिकार का बयान, जिसे अल्लाह ने अपने अनुग्रह से अपने ऊपर वाजिब कर रखा है। वह अधिकार यह है कि अल्लाह ऐसे बंदों को जन्नत प्रदान करे तथा यातना का सामना करने न दे, जो किसी को उसका साझी न बनाते हों।
- इस हदीस में ऐसे एकेश्वरवादी लोगों के लिए बहुत बड़ा सुसमाचार है, जो किसी को अल्लाह का साझी नहीं बनाते। सुसमाचार यह है कि अल्लाह ऐसे लोगों को जन्नत प्रदान करेगा।
- मुआज़ रज़ियल्लाहु अनहु ने मृत्यु से पहले इस भय से यह हदीस बता दी कि कहीं ज्ञान छुपाने का गुनाह न उठाना पड़े।
- यह निर्देश कि कुछ हदीसों को कुछ ऐसे लोगों को बताना नहीं चाहिए, जिनके बारे में इस बात का डर हो कि वह उसका मतलब समझ नहीं पाएँगे। लेकिन यह बात उन हदीसों पर लागू होगी, जिनके अंदर किसी अमल या किसी शरई दंड का ज़िक्र न हो।
- अवज्ञाकारी एकेश्वरवादी लोग अल्लाह की इच्छा के अधीन होंगे। वह चाहे तो उनको यातना दे और चाहे तो माफ़ कर दे और फिर उनका ठिकाना जन्नत हो।