- शैतान द्वारा दिल के अंदर डाले गए बुरे ख़यालों को उपेक्षित करना, उनपर धियान ना देना, और अल्लाह से उनको दूर करने की प्रार्थना करना।
- इन्सान के दिल में आने वाले सभी शरीयत विरोधी ख़यालात शैतान की ओर से डाले जाते हैं।
- अल्लाह की ज़ात के बारे में विचार-विमर्श करने की मनाही और उसकी सृष्टियों तथा निशानियों पर विचार-विमर्श करने की प्रेरणा।