- क़ब्रिस्तान में, क़ब्रों के बीच या क़ब्रों की ओर मुँह करके नमाज़ पढ़ने की मनाही। परंतु जनाज़े की नमाज़ इस मनाही के दायरे से बाहर है, जैसा कि सुन्नत से साबित है।
- क़ब्रों की ओर मुँह करके नमाज़ पढ़ने से मना शिर्क का द्वार बंद करने के लिए किया गया है।
- इस्लाम ने क़ब्रों के बारे में अतिशयोक्ति से भी मना किया है तथा उनके असम्मान करने से भी मना किया है। यहाँ न तो हद से आगे बढ़ने की अनुमति है और न कोताही करने की।
- मुसलमान का सम्मान उसकी मौत के बाद भी बाक़ी रहता है। क्योंकि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है : "मरे हुए व्यक्ति की हड्डी तोड़ना जीवित व्यक्ति की हड्डी तोड़ने के समान है।"