- ओझा का काम करना, ओझाओं के पास जाना और उनसे ग़ैब की बातें पूछना हराम है।
- कभी-कभी इन्सान किसी गुनाह के कारण नेकी के काम के सवाब से वंचित कर दिया जाता है।
- इस हदीस के दायरे में नक्षत्रों को देखना तथा हथेली एवं प्याली को पढ़ना भी आता है, चाहे यह सब केवल जानकारी लेने के लिए ही क्यों न किया जाए। क्योंकि यह सब ओझा के ग़ैब की बात जानने के दावे के अलग-अलग रूप हैं।
- जब ग़ैब की बात बताने वाले के पास जाने की सज़ा इतनी बड़ी है, तो खुद ग़ैब की बात बताने वाले को कितनी बड़ी सज़ा मिल सकती है?
- चालीस दिन की नमाज़ें अदा हो जाएँगी और उनकी क़ज़ा वाजिब नहीं होगी, लेकिन इनका सवाब नहीं मिलेगा।