- बारिश होने के बाद यह कहना मुसतहब है कि हमें अल्लाह के अनुग्रह और उसकी रहमत से बारिश मिली।
- जिसने बारिश बरसाने आदि घटनाओं का संबंध नक्षत्रों से जोड़ा और उनको इन घटनाओं का कारक माना, उसने बड़ा कुफ़्र किया। लेकिन अगर उसे केवल सबब माना, तो उसने छोटा शिर्क किया, क्योंकि यह न तो शरई सबब है और न भौतिक।
- नेमत की जब नाशुक्री हो, तो वह अविश्वास का सबब बन जाती है और जब उसका शुक्र अदा किया जाए, तो वह ईमान का सबब बन जाती है।
- यह कहना मना है कि हमें अमुक नक्षत्र के कारण बारिश मिली, चाहे इससे मुराद समय ही क्यों न लिया गया हो। ऐसा दरअसल शिर्क का द्वार बंद करने के लिए किया गया है।
- नेमतों की प्राप्ति और अप्रिय चीज़ों से बचाव के संबंध में दिल का संबंध अल्लाह से होना ज़रूरी है।