- दुआ ही मूल इबादत है, इसलिए अल्लाह के अतिरिक्त किसी और से दुआ करना जायज़ नहीं है।
- दुआ के अंदर वास्तविक बंदगी तथा अल्लाह के निस्पृह एवं शक्तिशाली होने एवं बंदे के उसके अधीन होने की स्वीकृत पाई जाती है।
- अल्लाह की इबादत से अभिमान करने और उससे दुआ करने से रुकने वाले के लिए बड़ी सख़्त चेतावनी, और इस बात का स्पष्ट उल्लेख कि जो अल्लाह से दुआ करने से अभिमान करते हैं, वे अपमान के साथ जहन्नम में प्रवेश करेंगे।