- परस्पर सहयोग, एक-दूसरे की मदद करने और ज़रूरतमंदों की ज़रूरतें पूरी करने की प्रेरणा।
- इबादत के अंदर हर अच्छा काम शामिल है। विधवाओं एवं निर्धनों की मदद करना भी इबादत है।
- इब्न-ए-हुबैरा कहते हैं : इसका मतलब यह है कि अल्लाह उसे एक साथ रोज़ा रखने वाले, तहज्जुद पढ़ने वाले और अल्लाह के मार्ग में युद्ध करने वाले का प्रतिफल प्रदान करता है। इसका कारण यह है कि उसने विधवाओं की देख-भाल उनके पति की तरह की तथा अपना खर्च चलाने में असमर्थ निर्धन पर अपना बचा हुआ धन खर्च किया एवं श्रम दान किया, इसलिए उसका लाभ रोज़े, तहज्जुद और अल्लाह के मार्ग में युद्ध के बराबर होगा।