- इमाम नववी कहते हैं : शरीयत का एक साधारण सिद्धांत यह है कि हर सम्मान योग्य कार्य जैसे कपड़ा और जूता पहनना, मस्जिद में प्रवेश करना, मिसवाक करना, सुरमा लगाना, नाखून काटना, मोंछें तराशना, बाल में कंघी करना, बगल के बाल उखाड़ना, सर मुंड़वाना, नमाज़ से सलाम फेरना, तहारत के अंगों को धोना, शौचालय से निकलना, खाना और पीना, मुसाफ़हा करना एवं हजर-ए-असवद को बोसा देना आदि को दाएँ हाथ से दाएँ जानिब से करना मुसतहब है। जबकि इसके विपरीत कार्यों, जैसे शौचालय में प्रवेश करना, मस्जिद से निकलना, नाक साफ़ करना, इस्तिंजा करना एवं कपड़ा तथा मोज़ा उतारना आदि को बाएँ हाथ से या बाएँ जानबि से शुरू करना मुसतहब है। यह सब कुछ दरअसल दाएँ के सम्मान एवं प्रतिष्ठा के कारण है।
- हदीस के शब्दों "दाएँ से करना पसंद करते थे" के अंदर कार्यों का आरंभ दाएँ हाथ से, दाएँ पाँव और दाएँ जानिब से करना तथा किसी चीज़ का लेनदेन दाएँ हाथ से करना शामिल है।
- इमाम नववी कहते हैं : जान लें कि वज़ू के कुछ अंगों के बारे में दाएँ से आरंभ मुसतहब नहीं हैं। ये अंग हैं, दोनों कान, दोनों हथेलियाँ और दोनों गाल। इन अंगों को एक साथ पाक किया जाएगा। अगर ऐसा करना संभव न हो, तो दाएँ को प्राथमिकता दी जाएगी।