- घरों को अल्लाह की इबादत से खाली छोड़ने की मनाही।
- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की क़ब्र की ज़ियारत के लिए सफ़र करने की मनाही, क्योंकि आपने अपने ऊपर दरूद भेजने का आदेश दिया है और बताया है कि उसे आप तक पहुँचा दिया जाता है। सफ़र मस्जिद-ए-नबवी के इरादे से और उसमें नमाज़ पढ़ने के लिए किया जा सकता है।
- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की क़ब्र की ज़ियारत को जश्न के रूप में लेना यानी एक खास तरीक़े से एक खास समय में बार-बार ज़ियारत करना, हराम है। यही हाल प्रत्येक क़ब्र की ज़ियारत का है।
- अल्लाह के पास नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का सम्मान कि हर दौर तथा हर स्थान में आप पर दरूद को शरीयत सम्मत घोषित किया।
- चूँकि क़ब्रों के पास नमाज़ न पढ़ने की बात सहाबा के यहाँ स्थापित थी, इसलिए अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया कि घरों को क़ब्रिस्तान की तरह न बनाओ कि वहाँ नमाज़ पढ़ना छोड़ दो।