- क़ुरआन करना एक शरई कार्य है। इसपर तमाम मुसलमान एकमत भी हैं।
- बेहतर यह है कि क़ुर्बानी का जानवर उसी तरह का हो, जिस तरह का जानवर अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ज़बह किया है। क्योंकि यह देखने में अच्छा होता है, इसमें चर्बी हुआ करती है और इसका मांस स्वादिष्ट हुआ करता है।
- नववी कहते हैं : इस हदीस के आलोक में क़ुरबानी का जानवर किसी और से ज़बह करवाने के बजाय ख़ुद अपने ही हाथ से ज़बह करना मुसतहब है। अलबत्ता, कोई मजबूरी हो तो बात अलग है। लेकिन, उसे स्थिति में भी ख़ुद मौजूद रहना चाहिए। वैसे, किसी और से ज़बह करवाना भी मौजूद है। इसमें सर्वसम्मति है।
- सींग वाले जानवर की क़ुर्बानी मुसतहब है। वैसे, बिना सींग वाले जानवर की क़ुर्बानी भी की जा सकती है।