- नबियों तथा नेक लोगों की क़ब्रों के बारे में शरई सीमा से आगे बढ़ना दरअसल अल्लाह को छोड़ उनकी इबादत करना है। इसलिए शिर्क के साधनों से बचना ज़रूरी है।
- क़ब्र के पास उनको सम्मान देने और उनके पास इबादत करने के लिए जाना जायज़ नहीं है, चाहे उनके अंदर दफ़न इन्सान अल्लाह का कितना ही क़रीबी क्यों न हो।
- क़ब्रों के ऊपर मस्जिद बनाना हराम है।
- क़ब्रों के पास नमाज़ पढ़ना हराम है, चाहे वहाँ मस्जिद न भी बनाई जाए। हाँ, जिसपर जनाज़े की नमाज़ न पढ़ी गई हो तो उसकी क़ब्र पर जनाज़े की नमाज़ पढ़न इस मनाही के दायरे से बाहर है,।