जब रमज़ान के अंतिम दस दिन आते, तो अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) रातों को जागते, अपने घर के लोगों को जगाते, ख़ूब इबादतें करते और कमर कस लेते।...
आइशा (रज़ियल्लाहु अंहा) कहती हैं कि जब रमज़ान के अंतिम दस दिन आते, तो अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) रातों को जागते, अपने घर के लोगों को जगाते, ख़ूब इबादतें करते और कमर कस लेते।
इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।
व्याख्या
जब रमज़ान महीने के अंतिम दस दिन आते, तो अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- पूरी रात जागकर विभिन्न प्रकार की इबादत करते, अपने घर के लोगों को नमाज़ के लिए जगाते और आम दिनों की तुलना में अधिक इबादत करते, उसमें स्वयं को व्यस्त रखते और स्त्रियों से दूर रहते थे।
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